दोस्तों आपने तीस मार खा नाम तो बहुत सुना होगा फ़िल्मों कोमेडी आदि में मैं उस तीस मारखा की बात नहीं कर रहा हूं मैं बुक्सा के पूर्वज सकतपुरिया गोत्र में जन्मे दिव्य पुरुष बुक्सा तीस मारखा की बात कर रहा हूं जिसे पूजता है बुक्सा समाज जिसके मंदिर आपको लगभग हर बुक्सा गांव में देखने को मिल जायेंगे। जो थान मंदिर के पास होते है। आईए जानते हैं तीस मार खा के बारे में । दोस्तों तीस मार खा के पिताजी का नाम विजय शिकारी था जिसे शिकारी या विजुआ शिकारी के नाम से भी लोग पुकारते थे। यह भी तंत्र विद्या में निपुण थें । बहुत समय पहले की बात है जब विजय शिकारी एक दिन शिकार को निकले तो उन्होंने देखा एक तालाब में कुछ स्वर्ग लोक से आई हुई परियों स्नान कर रहे हैं और उन्हें एक परी पसंद आ जाती है जिसे पाने के लिए वह उन सब परियो के कपड़े अपनी शक्ति से छुपा लेते हैं और सूरज ढलने से पहले परियों को अपने देव लोक जाना होता है अगर वह किसी कारण बस शाम होने से पहले देव लोक नहीं पहुंची तो फिर उन्हें हमेशा हमेशा के लिए पृथ्वी लोक में रहना पड़ता है। परिया स्नान करने के बाद तलाब से निकलती है तो वह देखतीं हैं उनके कपड़े वहां पर नहीं है फिर वह अपनी दिव्य शक्ति से देखती है तब पता चलता है विजय शिकारी ने उनके कपड़े छिपा दिये है परी विजय शिकारी को बुलाती है और उससे क्रोधित होती हैं और कहती हैं हे मूर्ख तूने यह क्या कर दिया हमें अपने घर देवलोक वापिस जाना है सूरज ढलने से पहले हमारे कपड़े हमें वापस दो । विजय शिकारी कहता है मैं आपके कपड़े सिर्फ एक शर्त में वापिस दुंगा। परियों ने कहां कहो क्या शर्त है मांगों जो मांगना है विजय शिकारी ने कहा पहले बचन दो मुकरोगी तो नहीं तभी वस्त्र दुंगा। परीयों ने बचन दे दिया और कहा अब मांगों जल्दी हमें देवलोक भी जाना है। फिर विजय शिकारी ने उंगली उठाते हुए कहा ये परी मुझे पसंद आ गई हैं मुझे इससे शादी करनी है। ये सुनकर परी अचंभित हो गई और क्रोध से लाल हो गई विजय शिकारी को वहीं नष्ट करना चाहती थी लेकिन वो बचन में बंध चुकी थी जिस कारण वो विजय शिकारी को कुछ नहीं कर पाती और परियों ने उस परी को मनाया देख सखी हम वचन नहीं तोड़ सकते आपको इससे शादी करनी होगी बचनबद्ध होने के कारण परी मान गई उससे हां बोल दिया साथ में परी ने विजय शिकारी से भी एक बचन लिया ठीक है मैं तुम से शादी कर लुंगी पर मुझे कभी भी नाचने को मत कहना विजय शिकारी ने कहा ठीक है मैं बचन देता हूं फिर विजय शिकारी ने उनके वस्त्र दे दिये और विजय शिकारी और सभी परियां गुरु जी के पास आई और उन्होंने गुरू के समक्ष विजय शिकारी और परी का गंधर्व विवाह करवाया। और परियों ने आशीर्वाद देते हुए कहा आप दोनो से एक दिव्य बच्चा जन्मेगा जो एक बार में तीस कार्य करने की छमता रखेगा और हमेशा नेकी और भलाई के रास्ते में चलेगा जिसे लोग भविष्य में पूजेंगे और वो हमेशा लोगों की मदद करेगा। गन्धर्व विवाह करने के बाद विजय शिकारी और परी अपने घर आ जाते हैं विजय शिकारी बुक्साड़ी तंत्र विद्या से लोगों की बिमारियों को ठीक करता था ऐसे लोगों को भरारा (शियाना) कहते हैं। विजय शिकारी ने लोगों की इतनी भलाई की लोग उसे देवता मानने लगे विजय शिकारी माता बाल सुंदरी जी की पूजा अर्चना करते थे मां बाल सुंदरी की उन पर असीम कृपा थी फिर विजय शिकारी और परी से उनके घर एक बच्चे ने जन्म लिया जन्म लेते ही उनके गांव के बिगड़े हुए तीस काम बन गए और परियों की भविष्यवाणी सच साबित हुई। जिस कारण उसका नाम तीस मार खा रखा,तीस मारखा एक दिव्य पुरुष थे बचपन से ही उन्होंने अपने पिता के साथ लोगो की भलाई की और दोनो ही बाप बेटे लोगों के दुख दर्द दूर करने लगे फिर तीस मारखा की शादी हुई तो घर में खुशियों का माहौल था गांव की सभी महिलाएं खुशी से नाच रही थी । विजय शिकारी भी बहुत खुश था और खुशी में चूर होकर अपनी पत्नी परी से कहता है सारा गांव नाच रहा है तेरे बेटे की शादी में और तुम नहीं नाचोगी अपने बेटा की शादी में चलो आओ मैं कह रहा हूं नाचो इतना कहते ही परी उड़ने लगी और कहा आपने अपना बचन तोड़ दिया मैं जा रही हु अपने देवलोक। इतना कहते ही परी उड़ जाती है फिर विजय शिकारी कहता है ये मैंने क्या कर दिया खुशी में आकर अपना बचन तोड़ दिया। शादी की सारी खुशी दुख में बदल गई। जैसे तैसे तीस मार खा की शादी हो गई तीस मारखा की कई संताने हुई फिर कुछ दिन बाद विजय शिकारी की भी मृत्यु हो जाती है और तीस मारखा उनकी समाधि माता के थान मंदिर के पास लगातें हैं और लोग वही जाकर विजय शिकारी को पूजने लगते है। और यहां पर तीस मारखा अपने पापा के कार्यों को बढ़ाता है। उस समय मांझी लोग भी रहते थे । तीस मारखा के कर्म व चमत्कार दूर दूर तक प्रसिद्ध होने लगे फिर एक मांझी ने उनकी परिक्षा लेनी चाही देखते हैं तीस मारखा एक साथ में तीस काम कैसे करता है। वो मांझी अलग अलग घर व गांव की तीस समस्याओ को लेकर आया और तीस मारखा से बोला मैं तीस गंभीर समस्याओं को लेकर आया हूं अब ठीक करके दिखाओ तीस मारखा ने कुछ देर के लिए आंखें बंद की और कहा जाओ इन परिवार के पास उनकी समस्याएं खत्म हो गई। मांझी ने जाकर देखा तो चमत्कार हो गया एक साथ तीस कार्य कर दिए। ये देखकर मांझी तीस मारखा का भक्त बन गया | कुछ सालों बाद तीस मारखा बृद्ध अवस्था में आते आते उनकी मृत्यु हो गई और तीस मारखा माता रानी के सच्चे भक्त थे अपने पापा विजय शिकारी की तरह और उनकी समाधि भी थान मंदिर के पास बनाई गई और उनको लोग देवता के रूप में पूजने लगे दोस्तों आज भी विजय शिकारी और तीस मारखा थान मंदिर में पूजे जाते है ज्यादातर थान मंदिर में तीस मारखा के चबूतरे देखने को मिलेंगे और कहीं-कहीं पर तीस मारखा के साथ-साथ इनके पिता विजय शिकारी के भी चबुतरे बने हुए मिलेंगे हांलांकि इस कहानी का कोई तत्थ (सबूत) नहीं है पर ये कहानी सच्ची है जिसके प्रमाण स्वरूप आपको हर गांव के थान मंदिर में उनके मंदिर भी देखने को मिल जायेंगे जिसको शदियों से बुक्सा समाज पूजते आ रहे है ये शदियों से सबकी रक्षा दुख दर्द बीमारी परेशानियों को दूर कर रहे हैं यही सच्चाई है हर बुक्सा जनजाति के गांव में प्रमाण के रूप में इनका मंदिर है और आज भी इनके वंशज सकतपुरिया गोत्र काफी मात्रा में बुक्साड में बसी है। जिसमें से एक मैं हूं अमर सिंह सकतपुरिया।
जय हो तीस मारखा की,जय हो विजय शिकारी की,जय हो मां बाल सुंदरी की।