बुक्सा समाज का गौरवशाली इतिहास



बुक्सा समाज का गौरवशाली इतिहास

बुक्सा समाज परमार/पंवार वंशीय क्षत्रिय राजपूत राजा भोज धारा नगरी उज्जैन के शासक थे जो वर्तमान में धारा नगरी को अब धार जिला के नाम से जाना जाता है जोकि राज्य मध्य प्रदेश में स्थित है।

राजा भोज परमार/पंवार वंश के नौवें राजा थे । परमार वंश के राजाओं ने मालवा की राजधानी धारा नगरी में आठवीं शताब्दी से लेकर चौदहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक राज्य किया।

कालांतर में हंसराज वंश की दो शाखाएं हो गई एक धारा नगरी उज्जैन की शासक रही और दूसरी मालवा कि शासक बनी बुक्सा समाज की कुलदेवी प्रारंभ से ही वर्तमान में बलूचिस्तान में स्थित और अपने 52 शक्तिपीठों में से एक मां हिंगलाज भवानी बाल रूप मां बाल सुंदरी है।

अपने पराक्रम के आधार पर मालवा के शासकों ने स्वयं के राज्य का विस्तार करके उसे धारा नगरी से अधिक समृद्ध एवं शक्तिशाली बनाया जबकि धारा नगरी सामान्य राज्य ही रहा किंतु दोनों के संबंध सदा ही घनिष्ट रहे और दोनों ही विपत्ति काल में एक दूसरे की सहायता करते थे ।

सन 1305 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने मालवा राज्य पर हमला किया उस समय मालवा के शासक महलक देव व धारा नगरी के शासक उदयजीत सिंह थे दोनों ने मिलकर अलाउद्दीन खिलजी का जमकर मुकाबला किया किंतु खिलजी की एक लाख की सेना के समक्ष मालवा व धारा नगरी की चालीस हजार की सेना ठिक ना सकी राजा महलक देव युद्ध में शहीद हुए और राजा उदयजीत सिंह बची हुई सेना को लेकर वापस घर आ गए अपने पूर्व अनुमान के अनुसार कुछ ही दिन पश्चात खिलजी की सेना ने धारा नगरी पर भी हमला बोल दिया किंतु हमले से पूर्व ही राजा उदयजीत सिंह ने राज परिवार की महिलाओं रानियों राजकुमारियों बच्चों बुजुर्ग राजकुमारों व राज्य के कुछ अधिकारियों के परिवार सहित आवश्यक धन-संपत्ति देकर अपने छोटे भाई श्रद्धेय राजा जगतदेव सिंह के साथ सुरक्षित स्थान पर छिपने हेतु भेज दिया युद्ध में राजा उदयजीत सिंह शहीद हो गए और राजा जगत देव सिंह के संरक्षण में सुरक्षित स्थान पर छिपने गए हुए लोग फिर कभी भी धारा नगरी वापस नहीं आ सके और वे सभी जंगलों में छिपते हुए प्रथम बार मां हिंगलाज भवानी के दर्शन हेतु बलूचिस्तान और बाद में उज्जैन आ गए कुछ समय वहां पर रहकर और अधिक सुरक्षित स्थान की तलाश में माता हिंगलाज भवानी के बाल रूप के स्वर्ण विग्रह मां बाल सुंदरी की प्रतिमा को लेकर वर्तमान उत्तराखंड के जिला उधम सिंह नगर जोकि उस समय चंद्रवंशीय राजाओं के अन्तर्गत था और उत्तर प्रदेश के रामपुर जनपद की सीमाओं पर स्थित पीपली जंगल में बस गए और वहीं पर उन्होंने माता हिंगलाज भवानी के बाल रूप के विग्रह की स्थापना की जो कि स्वर्ण प्रतिमा थी और अपनी बस्ती बसाई जिसके अवशेष रूप में खंडर आज भी देखने को मिलते हैं किंतु बाद में वहां पर भी रामपुर के मुस्लिम शासकों की दृष्टि पड़ी और पीपली स्टेट पर भी उनका हमला हो गया माता के मंदिर में गौ वध किया गया परिणाम स्वरूप इन्हें वहां से भी उजड़ना पड़ा और तराई के जंगलों में अलग-अलग स्थान पर बस गए माता की स्वर्ण विग्रह की स्थापना वर्तमान काशीपुर में चैती मेला परिसर में स्थित मंदिर में की गई इसी कारण से बाद में उस ग्राम का नाम उज्जैन और मंदिर का नाम उज्जैनी पीठ पड़ा। बुक्सा समाज के एक परिवार (गोत्र सियारी वाले) को उस मंदिर का पुजारी नियुक्त कर दिया गया । बुक्सा समाज ने अग्निहोत्री ब्राह्मणों को अपना कुल पुरोहित मानकर मां बाल सुंदरी व मंदिर की पूजा अर्चना की जिम्मेदारी उन्हीं को सौंप दी।

यही था बुक्सा समाज का गौरवशाली इतिहास जो संक्षिप्त में बताया गया है और भी राजा जगदेव और मां बाल सुंदरी की कहानी आप को इस बुक्सा परिवार वेबसाइट में जानने को मिलेंगी 

लेखक अमरसिंह बुक्सा परिवार

ओथेंटिक-स्थान राजा जगतदेव मंदिर व छात्रावास चैती मेला परिसर काशीपुर।

संचालक-देवसिंह बुक्सा (हाईकोर्ट एडवोकेट नैनीताल)

सेवा प्रकल्प संस्थान काशीपुर उत्तराखंड।

Buksa Parivar

I am Amar Singh youtuber channel name Buksa Parivar

Post a Comment

Previous Post Next Post