मनीराम बाबा का इतिहास
बुक्सा समाज के पूर्वज सिद्ध पुरुष मनीराम बाबा का नाम मानसिंह उर्फ मनीराम था ये बरूआ गोत्र के थे इन पर दिव्य शक्तियां थी ये तंत्र विद्या जानते थे जिसके कारण लोगों का भला करते थे मनीराम बाबा का जन्म स्थान गांव गजपुर बरूआ वर्तमान में छोई रामनगर उत्तराखंड में है। यहां पर सन् 1867-69 में बुक्सा समाज के बारह गांव थे। इन बारह गांवों की सुरक्षा व रक्षा मनीराम के हाथ में थी ये गजपुर वरूआ गांव के पधान मुखिया थे । इनकी अच्छाई व सच्चाई देखकर को चंद्र वंशीय राजाओं ने इनको तामपत्र के माध्यम से 12 गांव की जिम्मेदारी दे दी थी और ये फिर ये बारह गांव के सरदार व रक्षक बन गये फिर मनीराम बाबा ने तख्त(न्याय व्यवस्था)की शुरूआत की ।और सारे बारह गांवो के फैसले यही करते थे। दोषी पाए जाने पर उस व्यक्ति को बोरी में बंद करके पहाड़ से गिरा देते थे। मनीराम पधान के साथ साथ भरारे(सियाना) भी थे जिस कारण ये दिव्य पुरुष भी थे बचपन से ही ये लोगों की सहायता करते थे ।1867-69 (Part Of District Nainital Garwal Season) के मानचित्र के अनुसार छोई के जंगलों में बुक्सा समाज के बारह निम्न गांव थे-1.कंचनपुर वरूआ 2.गोपीपुर वरूआ 3.नाबूपुर वरूआ 4.बंगापुर वरूआ 5. किशनपुर वरूआ 6.करमपुर वरूआ 7.गोरेश्वर वरूआ 8.गजपुर वरूआ 9.मदनपुर वरूआ 10. खुशालपुर वरुआ 11.संतोषपुर वरूआ 12.पदमपुर वरूआ। नाम से आबाद थे जो भयंकर महामारी प्राकृतिक आपदा जंगली जानवरों के आतंक से लोग वहां से पलायन कर नैनीताल जिला व उधम सिंह नगर जिला के तराई भावर के मैदानी क्षेत्र में बस गए।
सन् 1931 के मानचित्र में गांव गजपुर बरूआ छोई में मनीराम बाबा का मंदिर को दर्शाया गया है।
काशी विद्यापीठ वाराणसी समाज शास्त्र विभाग (समाज विज्ञान संकाय) के शोध पत्र में उतर भारत की बुक्सा जनजाति पुस्तक 1974 के प्रकाशन के पृष्ठ संख्या 58 के अनुसार वरूआ गांव के पधान मनीराम बाबा के बारे मे उल्लेख है।
The Bhoksa a Little Known Tribe of Up लेखक निरंजन कुमार घटक की पुस्तक के पृष्ठ संख्या 137 से 138 में छोई स्थित मनीराम बाबा के मंदिर के बारे में विस्तार से उल्लेख है।
उत्तरांचल ग्रामीण समुदाय व पिछड़ी जाति एवं जनजाति परिदृश्य 1997 में डां बी एस बिष्ट द्वारा लिखित पुस्तक के पृष्ठ संख्या 196 से 198 तक मनीराम बाबा के बारे मे उल्लेख है
और भी अनेक प्रमाणिक पुस्तको में मनीराम बाबा के बारे में उल्लेख है।
हरकी पौड़ी हरिद्वार स्थित सनातनी धर्म के कर्मकांडो से विधि मान्य पण्डो द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी दर्ज प्रतिलिपियों में बुक्सा जनजाति की वंशावलीयो का उल्लेख है इन्हीं प्रतिलिपियों के अनुसार मनीराम बाबा वरूआ की वंशावली सन् 1788 से 2022 तक का उल्लेख है।
मनीराम बाबा का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है उन्होंने हमेशा लोगों का भला किया है और आज तक करते आ रहे हैं और कर रहे हैं जय मनीराम बाबा की।
शोधकर्ता
देव सिंह (एडवोकेट नैनीताल हाईकोर्ट उत्तराखंड)