पुरानी यादें.....
बुक्सा समाज की महिलाओं की प्रतिभा हुनर व कला ।
प्राचीन काल की बुक्सा समाज की महिलाओं में हुनर की कोई कमी नहीं थी। दैनिक उपयोग मे काम आने वाले समस्त संसाधन स्वतः ही अपने हाथ से बना लेती थी।
नीचे जो चित्र है वो कुठिया और कुठला के हैं
आइए जानें इनके बारे में.......
1.मिटटी की कुठिया- कुठिया (बडा गोदाम) अनाज भरने के काम आती थी जैसे गेहूं, धान आदि इसमें 5 कुंटल से 10 कुंटल तक अनाज भरकर अपनी जरूरत हेतु रखा जाता था। वर्तमान समय में आज भी कुछ घरों मे कुठिया देखी जा सकती है इस कुठिया में बुक्सा समाज की महिलाओं के द्वारा अनेक प्रकार की मनमोहक सुंदर चित्रकारी भी की जाती थी जो देखने मे अत्यंत सुंदर लगती है ।
2.मिटटी का कुठला (छोटा गोदाम)- यह भी अनाज रखने के काम आता है जैसे धान गेहूं चावल आदि। आज भी वर्तमान काल में ये कहीं कहीं देखने को मिल जायेंगे।
बनावट- इसकी बनावट के लिए मिट्टी, गोबर, गेहूं का भूसा, आदि सामग्री को मिश्रण कर बुक्सा समाज की महिलाओं के द्वारा बनाया जाता था और आज भी वर्तमान काल में अभी भी कुछ घरों पर यह पुरानी परम्परा कला संस्कृति देखने को मिल जायेगी
जय हो श्रद्धेय महाराज राजा जगतदेव सिंह परमार (पंवार) की
जय हो मां बाल सुंदरी देवी चेती मैया की।
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