बुक्सा जनजाति समाज में गोवर्धन की पूजा की एक अनोखी परम्परा है जो सदियों से चली आ रही है। इसमें गोवर्धन पूजा के लिए गोबर की गाय माता एवं बैल इत्यादि की प्रतिमा बनाई जाती है और उनके ऊपर उशीर (घास) को खड़ा किया जाता है जो राधा कृष्ण और गोकुल वासियों के द्वारा उठाए गए गोवर्धन पर्वत का प्रतीक माना जाता है इसमें प्रसाद खील,बताशे, मीठे हाथी घोड़ा,और चावल के आटे से बने हुए फरा को पूजा जाता है और अपने घर की सुख शांति व समृद्धि की कामना की जाती है ।