प्रेम पहलवान की कहानी



महिपाल सिंह ग्राम जूड़ली आदूवाला देहरादून के अनुसार 

श्री प्रेम सिंह ग्राम जूड़ली खेती के साथ-साथ बेलगाड़ी चलाने का भी कार्य करते थे उन्हें कुश्ती करने का बहुत शौक था श्री प्रेम सिंह को चोरी करने की भी आदत थी चोरी के मामले में कई बार पकड़े गए और छूट गए अंत में उन्होंने एक बड़ी चोरी की चोर साबित हो जाने के बाद श्री प्रेम सिंह को कई वर्षों की जेल हुई देहरादून की जेल से श्री प्रेम सिंह को बरेली की जेल में भेज दिया गया उसी समय बरेली में एक दंगल का आयोजन हुआ जिसकी सूचना प्रेम सिंह को जेल में मिल गई प्रेम सिंह ने बरेली के जेलर से निवेदन किया कि मैं पहलवान हूं और बरेली में दूर-दूर के पहलवान दंगल में आ रहे हैं मुझे भी इस दंगल में जाने व कुश्ती लड़ने की इजाजत दी जाए जेलर ने प्रेम सिंह की प्रार्थना स्वीकार करते हुए कुश्ती लड़ने की इजाजत दे दी दंगल में कई देशों के पहलवान मौजूद थे एक पहलवान ने तीन पहलवानों को हराकर चौथी बार आखिरी कुश्ती के लिए फिर तैयार हो गया पहलवान डीलडोल से बहुत भारी था श्री प्रेम सिंह ने कुश्ती लड़ने के लिए उस पहलवान से हाथ मिलाया कुश्ती आरम्भ होने के पहले झटके में ही श्री प्रेम सिंह ने उसको  पटक दिया(हरा दिया) श्री प्रेम सिंह के कर्तव्य से खुश होकर लोगों ने प्रेम सिंह जी को कई हजार रुपए ईनाम में दिए और सरकार ने श्री प्रेम सिंह को बाकी की सजा माफ करते हुए उसे बाइज्जत बरी कर छोड़ दिया ।बुक्सा जाति में कई ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें अपनी ताकत का पता नहीं था कि उन में कितनी ताकत है इसमें धूलकोट में पेलियो गांव के कई व्यक्ति मशहूर थे जो एक हाथ से एक कुंटल अनाज से भरी बोरी को आसानी से उठा सकते थे ।

लेखक श्री दर्शन लाल जी

पुस्तक-बोक्सा जन जागृति 





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