स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय खुशीराम बुक्सा की कहानी

 


स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय खुशीराम बुक्सा की कहानी 

स्वर्गीय खुशीराम पुत्र स्वर्गीय कल्लू राम जाति बुक्सा ग्राम मोहल्ला पुरी पोस्ट ऑफिस लालढांग जिला हरिद्वार 

श्री खुशीराम बुक्सा जनजाति के होनहार व्यक्ति थे युवा समय से इनके अंदर ईमानदारी सच्चाई कर्मठता वह देश भक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। जिस समय भारत में आजादी का आंदोलन चरम सीमा पर चढ़ा हुआ था श्री खुशीराम भी युवावस्था में ही इस आंदोलन में शामिल हुए कांग्रेसी नेताओं के साथ बैठक करना अपने क्षेत्र के लोगों को आजादी के प्रति जागरूक करना तथा युवाओं को आजादी की लड़ाई में शामिल करना अंग्रेजी व्यवस्था के खिलाफ लोगों को भड़काना सामाजिक स्थानों पर कांग्रेसी नेताओं के साथ भाषण करना यह सब खुशी राम की दिनचर्या में शामिल था कई कई महीनों घर से बाहर रहकर कांग्रेस पार्टी का निस्वार्थ काम करना उनके मुख्य कार्यों में शामिल था। कई बार पुलिस के द्वारा उन्हें पकड़ लिया गया जेल में बंद कर दिया गया जमानत पर छूटने पर फिर से आजादी के आंदोलन में शरीक हो गए अंत में खुशीराम को पुलिस के द्वारा पकड़ लिया गया और लखनऊ की जेल में डाल दिया गया 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ और श्री खुशीराम को भारत सरकार के द्वारा स्वतंत्रता सेनानी घोषित किया गया श्री खुशीराम को आजादी की 20 वीं वर्षगांठ के अवसर पर 1967 में भारत सरकार के द्वारा ताम पत्र देकर उन्हें सम्मानित किया गया श्री खुशीराम ने स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा प्राप्त कर भारत में बुक्सा जनजाति का नाम रोशन किया श्री खुशीराम का नाम भारत के इतिहास में सदा अमर रहेगा।

श्री खुशीराम लालढांग जिला हरिद्वार के दो बार निर्विरोध प्रधान चुने गए श्री खुशीराम ने अपना पूरा जीवन बुक्सा जनजाति के सामाजिक सेवा में समर्पित कर दिया श्री खुशीराम का लंबी बीमारी के बाद दिनांक 10.11.1991 में उनके आवास मोहल्ला पुरी में स्वर्गवास हो गया उनकी मृत्यु से राज्य की बुक्सा जनजाति को नहीं बल्कि देश को भी नुकसान हुआ ।

जय हिंद जय भारत 

कहानी पुस्तक बोक्सा जन जागृति

लेखक श्री दर्शन लाल जी 



Buksa Parivar

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