ओम प्रकाश चौहान बुक्सा आयु 90 वर्ष पिता का नाम बद्री दादा का नाम राम्मा परदादा का नाम ढेलु व टेण्डा दोनों मां बालसुंदरी के भगत स्थान रायवाला ऋषिकेश देहरादून उत्तराखण्ड के अनुसार
हमारा गांव रायवाला गंगा जी के किनारे बसा हुआ है मेरी गोत्र चौहान है मेरे दादा राम्मा बताया करते थे कि एक बार उनका पिता टेण्डा मछली पकड़ने के लिए गंगा जी में गए मछली पकड़ने का जाल व पानी में तैरने के लिए सूखे 3 तुम्बो का बेड़ा (नांव) साथ में ले गए थे । बेड़े पर बैठ कर तैरते तैरते गंगा जी पार चले गए। गंगा जी पार का यह क्षेत्र जिला पौड़ी गढ़वाल में पड़ता है जैसे ही टेण्डा एक टापू में पहुंचे तो वहां देखते हैं की दो छोटी-छोटी मासूम सुंदर कन्याएं उस टापू में बैठी हैं टेण्डा ने उन सुंदर मासूम कन्याओं के पास जाकर पूछा कि तुम कहां से आई हो कन्याओं ने जवाब दिया हमें नहीं मालूम हम कहां से आए हैं हमें आप नदी पार करा दो हमें गंगा पार जाना है टेण्डा ने कहा कि मेरे पास मछली है और नदी में पानी ज्यादा है मैं किस प्रकार से आप दोनों को नदी पार ले जाऊं कन्याओं ने कहा हमें अपने दोनों कंधों पर उठा लो और ले चलो नदी पार जाकर हमें छोड़ देना टेण्डा ने ऐसा ही किया दोनों सुंदर मासूम कन्याओं को अपने दोनों कंधों पर बिठा लिया और चल दिया नदी में पानी अधिक होने पर भी पानी उनके घुटने तक आया नदी पार कर समतल भूमि पर जब उन दोनों कन्याओं को अपने कंधों से नीचे उतारा तो दोनों कन्याएं पत्थर का होने से पहले टेण्डा से कहा कि इस स्थान पर हमारी धूप वासना करते रहना हमारा नाम बसंती देवी और बाला सुंदरी है हम सात बहने हैं पत्थर की मूर्ति को देखकर पूरे क्षेत्र में कौतुहल मच गया और उस स्थान पर टेण्डा भगत पूजा अर्चना करने लगा।
एक बार श्री गंगा जी में बहुत बाढ़ आ गई और ढांग कटते कटते उस स्थान तक पहुंच गई जहां पर देवियों की मूर्तियां स्थापित थी मूर्तियों उठाने व उखाड़ने की बहुत कोशिश की जहां तक की दो दो हाथों से सांकल के जरिए उखाड़ने की कोशिश की किंतु मूर्तियां नहीं उखड़ी तब भगत ने मूर्तियों को आरी से कटवा कर गंगा नदी की पहुंच से काफी दूर वर्तमान मंदिर में उनकी स्थापना की यह मंदिर टेण्डा भगत के प्रयास से आम जनता के सहयोग से बनवाया गया था ।
जिसमें 5 देवी की स्थापना बाद में हुई 1.बाला सुंदरी 2.गर्दा मुसानी 3.कंढी भाई 4.फूलन्दे माता 5.माता घुस्यारी जिसका मंदिर प्रतीतनगर में स्थापित है माता बसंती देवी व बाला सुंदरी देवी की इस मंदिर में लिखी इबारत से पता चलता है माता बाला सुंदरी व माता बसंती देवी बुक्सा समाज की कुलदेवियां है । विशेषकर बुक्सा समाज में ही पूजी जाती है । रायवाला में पूर्व काल में बने माता बसंती देवी व माता बाला सुंदरी की इस भव्य मंदिर में चैत नवरात्रों के अवसर पर 15 दिन तक मेले का आयोजन किया जाता है यहां पर दूर-दूर से यात्री अपनी धार्मिक आस्था से आते हैं मां बसंती देवी और बाला सुंदरी देवी सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है। पूर्व में सभी कार्य बुक्सा समाज के ढेण्डा,ढेलू राम्मा,बद्री के हाथों में रहा किंतु समय की मार ने बाद में इस भव्य मंदिर को इस गांव के जागीरदार महन्तगिरी ने हथिया लिया आज उन्हीं के हाथों में इस भव्य मंदिर का प्रबंधन है ढेण्डा व ढेलू भगत का वंशज होने के नाते भी उस मंदिर से इस गांव के जागीरदार महन्तगिरी ने पदच्युत कर निकाल दिया है जो मेरी जीविका का साधन था यह मंदिर बुक्सा/बोक्सा समाज की एकमात्र निशानी व धरोहर है इसे सुरक्षित रखा जाए ताकि सदियों सदियों तक बुक्सा समाज का नाम इस धार्मिक आस्था से जुड़ा रहे।
मैं सामाजिक संगठन अखिल भारतीय बुक्सा जनजाति विकास समिति के माध्यम से उत्तराखंड सरकार से निवेदन करता हूं कि राज्य सरकार ग्राम रायवाला तहसील ऋषिकेश जिला देहरादून में स्थित माता बसंती देवी माता बाला सुंदरी के मंदिर को जो बुक्सा जनजाति समाज की धरोहर है को अधिग्रहण कर ले और उसकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करें तथा मेरी जीविका का प्रबंधन करें।
संपादक श्री दर्शन लाल जी(राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय बुक्सा जनजाति विकास समिति)
पुस्तक का नाम बोक्सा जन जागृति पेज नंबर 43
Jay mata di 🙏
ReplyDeleteJai mata di
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